नैदानिक प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2010
नैदानिक प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2010 केंद्र सरकार द्वारा उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं और सेवाओं के न्यूनतम मानकों को निर्धारित करने की दृष्टि से देश में सभी नैदानिक प्रतिष्ठानों के पंजीकरण और विनियमन के लिए अधिनियमित किया गया है। यह अधिनियम 28 फरवरी, 2012 की राजपत्र अधिसूचना द्वारा 1 मार्च, 2012 से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को छोड़कर चार राज्यों नामत: अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम और सभी केंद्र शासित प्रदेशों में प्रभावी हो गया है। उत्तर प्रदेश राज्य, उत्तराखंड, राजस्थान, बिहार, झारखंड, असम और हरियाणा ने संविधान के अनुच्छेद 252 के खंड (1) के तहत अधिनियम को अपनाया है।
मंत्रालय ने इस अधिनियम के तहत क्रमश: 19 मार्च, 2012 और 23 मई, 2012 की राजपत्रित अधिसूचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय नैदानिक प्रतिष्ठान परिषद और नैदानिक प्रतिष्ठान (केंद्र सरकार) नियम, 2012 को अधिसूचित किया है।
यह अधिनियम सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों से सभी प्रकार के (चिकित्सीय और नैदानिक दोनों प्रकार के) नैदानिक प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, जो एकल चिकित्सक क्लीनिक सहित चिकित्सा की सभी मान्यता प्राप्त प्रणालियों से संबंधित हैं। एकमात्र अपवाद नैदानिक प्रतिष्ठान हैं जो सशस्त्र बलों द्वारा चलाए जाते हैं।